bhagwan budh ki ye story apki life change kar degi.
नमस्कार दोस्तों मैं राम आप सभी का आपके अपनी वेबसाइट पर स्वागत करता हूं मैं आप सभी के लिए हमेशा नए-नए आर्टिकल चलाता हूं कि किस प्रकार आप पैसा कमा सकते हैं ज्ञान कमा सकते हैं एक अच्छे इंसान बन सकते हैं तो दोस्तों इस आर्टिकल के साथ जुड़े रहे क्योंकि आज मैं आपको भगवान बुद्ध के बारे में कुछ रोचक बातें बताओ का चलिए दोस्तों बिना किसी देरी के शुरू करते हैं जन-जन को मानव धर्म का उपदेश देने वाले तथागत महात्मा गौतम बुद्ध मानवता के मूर्तिमान रूप थे वे सत्य अहिंसा करुणा प्रेम आदि दिव्य मानवीय गुणों के मूर्तिमान रूप थे जो उपदेश से दूसरों को देते थे उसका पालन वे स्वयं अपने जीवन में भी करते थे इसलिए उनके शिष्य उनके आचरण से नित्य कुछ नई नई चीजें सीखते उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था जिसे देखकर पढ़ कर उनके शिष्यों को बहुत कुछ सीखने को मिलता था उनके जीवन से जुड़े ऐसे अनेक प्रसंग हैं और घटनाएं हैं जिनसे उनके व्यक्तित्व में बैठी हुई गहरी मानवता के दर्शन होते हैं उन्हीं में से कुछ रोचक व प्रेरक घटनाएं यहां प्रस्तुत हैं तथागत भगवान बुद्ध का परिनिर्वाण होने वाला था वह अपने नश्वर शरीर को छोड़कर इस संसार से विदा होने वाले थे रात का अंतिम पहर था अनेक भिक्षु भगवान की सैया को गिरे हुए बैठे थे भिक्षु संघ को भगवान अंतिम उपदेश दे रहे थे तथागत कह रहे थे भिक्षुओं बौद्ध धर्म और संघ के संबंध में यदि किसी व्यक्ति को कुछ शंका हो तो पूछ लो पीछे अफसोस मत करना कि तथागत हमारे सम्मुख थे किंतु हम उनसे कुछ सोच ना सके पर कोई भी सिर्फ कुछ बोल नहीं रहा था सब मोहन थे तीन बार तथागत ने कहा किंतु फिर भी कोई भी पूछने को नहीं उठा इस पर तथागत को शंका हो गई कि कहीं मेरे गौरव का विचार कर तो शिष्य पूछने में संकोच नहीं कर रहे हैं अतः करुणा की प्रतिमूर्ति तथागत कहने लगी शायद तुम मेरे कारण नहीं पूछ रहे तो भिक्षुओं जैसे मित्र मित्र से पूछता है वैसे तुम मुझसे पूछो ऐसा कहकर तथागत अपने आसन से उतरकर शिष्यों की पास भूमि पर आ गए तथागत को चिंता थी कि कहीं उनका विशाल लोकोत्तर व्यक्तित्व शिष्यों के कल्याण में बाधक न बने हुए उनके सका बने उनके पास आकर नीचे जमीन पर उनके साथ बैठे ताकि शिष्य निसंकोच भाव से उनसे पूछ सके बुद्ध पुरुषों की या बिना बताए तो मानव धर्म की आधार भूमि है तथागत का यह व्यवहार उनकी सहृदयता और विनम्रता का परिचायक था तथागत शिष्यों से कहने लगी आनंद मुझे कल्याण मित्र को पाकर जन्म धर्मा प्राणी काल चक्र से मुक्त हो जाते हैं इसलिए जो भी पूछना चाहो तो पूछ लो तथागत की ऐसी कल्याणकारी बातें सुनकर सभी की आंखें भर आई फिर तथागत ने मित्र की भाव से भिक्षुओं से बात की सब ने अपने कल्याण मित्र से अपने मन की अपने ह्रदय की बातें की सबको समाधान भी मिला दोस्तों महात्मा बुद्ध एक महान व्यक्ति चरित्र थे हिंदू धर्म में उन्हें भगवान का नौवां अवतार माना जाता है वे यह जानते थे कि उनके शिष्य उनसे अपनी समस्याएं नहीं पूछेंगे ऐसा इसलिए क्योंकि उनके शिष्य उनका सम्मान करते थे और अपने मन की हर एक बात को नहीं पूछना चाहते थे लेकिन भगवान बुद्ध उनके मन की बात को समझ गए और वह उनके मित्र बन गए इस प्रकार उन्होंने उन सभी की समस्याओं का समाधान किया इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अनजान समस्या का समाधान मित्र बनकर करना चाहिए दोस्तों हमारे जीवन में समस्याएं अनेक हैं पर अगर हम खुद के मित्र बने तो हम इन सभी समस्याओं को दूर कर अपनी जिंदगी को सुखमय बना सकते हैं तो दोस्तों अगर आपको ऐसे ही कमाल के पोस्ट पढ़ना चाहते हैं तो हमारे वेबसाइट से जुड़े रहे क्योंकि हम यहां पर कमाने के ज्ञान कमाने के पैसा कमाने के ढेर सारे आर्टिकल्स डालते रहते हैं
Post a Comment