ये कहानी आपकी ज़िंदगी बदल देगी।

 ये कहानी आपकी ज़िंदगी बदल देगी।



नमस्कार दोस्त कैसे हैं आप सब मैं राम आप सभी का स्वागत करता हूं आपके अपने प्लेटफार्म पर यहां पर मैं आपको यह बतलाता हूं आप कैसे एक सफल आदमी बन सकते हैं एक जिम्मेदार आदमी बन सकते हैं एक अमीर आदमी बन सकते हैं दोस्तों आज मैं आपको एक कहानी बताऊंगा इस कहानी को ध्यान से पढ़िए और इस कहानी से सीखने की कोशिश कीजिए क्योंकि मैं आपको ढेर सारे अपने आर्टिकल्स में बता चुका हूं कि सफल वही हो सकता है जो सीख सकता है जिसके अंदर सीखने का कीड़ा ना हो वो कुछ नहीं कर सकता तो दोस्तों आप अपने अंदर भी सीखने का कीड़ा डालिए और इस कहानी से शिक्षा लीजिए यह कहानी है एक गांव की एक सबलपुर नामक गांव में एक बूढा किसान था बूढा किसान के पास ढेर सारी जमीन थी संपत्ति थी बूढ़ा किसान के चार बच्चे थे चारों बच्चों की उसने शादी कर दी शादी कर दी तो सभी के घर बस गए अब बूढ़ा किसान ने सोचा कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का हकदार कौन बनेगा यह सोचकर वह परेशान हो गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किसे अपनी संपत्ति का हकदार बनाएं जो कि उसकी संपत्ति को सुरक्षित रख सके उसकी संपत्ति को बढ़ा सके और उसकी संपत्ति का सदुपयोग कर सकें उसके अंदर उसके मन में एक ख्याल आया उसने एक योजना बनाई उसने अपने चारों बच्चों को अपने सामने बुलाया हर किसी को एक एक मुट्ठी धान दे दिया और उसने कहा इसे संभाल कर रखना मैं तीर्थ से आता यह कह कर वह चला गया इसके बाद उसके चारों बच्चों ने अपने अपने हिस्से का धान उठा लिया उसके पहले लड़के का नाम था अविनाश अविनाश ने अपने हिस्से के धान को उसी समय जमीन पर फेंक दिया फेंक कर उसने सोचा पिताजी को तीर्थ के बाद यह याद कहां रहेगा कि उन्होंने एक मुट्ठी धान दिया है और वह चला गया अपना काम करने उसके दूसरे लड़के का नाम था विकास विकास खेती किया करता था उसने क्या किया उस एक मुट्ठी धान को एक बर्तन में रख लिया और उसे छिपाकर सुरक्षित जगह पर रख दिया ताकि जब उसके पिता तीर्थ से वापस आए तो वह उन्हें वह धान वापस दे सकें बूढ़े व्यक्ति के तीसरे लड़के का नाम था आकाश तीसरा लड़का व्यापारी था बूढ़े व्यक्ति का व्यापार संभालता था उसने क्या क्या अपने पिता के दिए गए धान को वह छीलकर उनका चावल खा गया और वह भी अपने काम पर चला गया उसके चौथे लड़के का नाम था राजू चौथा लड़का एक नया व्यापार करना चाहता था तो उसने धान को रख लिया और अपने खेत घूमने के लिए चला गया खेत घूमते घूमते उसके दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना इस एक मुट्ठी धान को उप जाया जाए तो उसने यही किया अच्छे से क्यारी बनाकर और उस एक मुट्ठी धान को भूमि में रोप दिया इसके बाद उसने उन धान की अच्छी खासी देखभाल की समय पर पानी दिया खाद दिया फसल तैयार हो गया थोड़ा समय लगा पर फसल बहुत ही अच्छा हुआ जितने धान उसने लगाए थे उसके 10 गुने धान उसे मिले उस 10 गुने धान को उसने आधा-आधा कर दिया आधे को उसने जमा कर दिया और आधे को फिर से लगा दिया भूमि में फिर से आधे के साथ उसने फसल की शुरुआत की जिस प्रकार उसने पहले मेहनत किया उसी प्रकार उसने इस बार भी मेहनत किया फिर से फसल अच्छा उपजा जितना धान उसने इस बार लगा था उस से 10 से 15 गुना बढ़ गया इसी तरह उसमें कई बार ध्यान लगाए और उसका फायदा होता रहा उसने धान की मदद से कई और व्यापार शुरू कर दिए कई जगह जमीन ले लिए बड़े-बड़े व्यापार करने लगा उसका नाम पूरे गांव शहर हर जगह होने लगा लोगों से एक बहुत ही बड़ा व्यापारी मानते थे इसी तरह समय बीतता गया और 8 साल बाद फिर से बूढ़ा व्यक्ति तीर्थ करके वापस आया कर जब वह वापस आया तो उसने अपने चारों बच्चों को बुलाया सबसे पहले उसने अपने बड़े बेटे से धान मांगा बड़े बेटे ने कहा कि मैंने तो धान फेंक दिया मुझे लगा आप को याद रहेगा ही नहीं फिर उसने उसे कुछ भी नहीं कहा बूढ़े व्यक्ति ने अब अपने दूसरे बेटे को बुलाया उससे धान मांगा दूसरे बेटे ने जहां धान छुपा कर रखा था वहां से लाया और धान अपने पिता को दे दिया उसके पिता ने धान रख लिया फिर उसने अपने तीसरे बेटे को बुलाया और उससे भी धान मांगा तीसरे बेटे ने कहा वह तो धान को खा गया फिर इसी तरह बूढ़े व्यक्ति ने अपने सबसे छोटे बेटे राजू को बुलाया राजू से धान मांगा राजू ने कहा जो आपने मुझे धान दिया था वह धान मेरे खेत में है वहीं पर मैंने रखा है आप कहें तो मैं उससे मंगवा दूं बूढ़े व्यक्ति ने कहा ठीक है ले आओ फिर राजू ने अपने नौकरों से कहा कि गाड़ी लेकर जाओ और धान को ले आओ बूढ़े व्यक्ति ने यह पूछा कि धान तो मैंने सिर्फ एक मुट्ठी ही दिया था फिर उसके लिए गाड़ी भेजने की क्या जरूरत फिर राजू ने कहा आपने जो मुझे धान दिया था उस धान से मैंने अपना व्यापार शुरू किया और आज वह व्यापार सफल हो गया यह सुनकर बूढ़े व्यक्ति ने राजू को गले से लगा लिया और उसे ही अपनी सारी संपत्ति का अधिकार दे दिया और अपने बाकी बच्चों को उसने अपनी संपत्ति का छोटा-छोटा काम दिया पर अपनी सारी

संपत्ति का पूर्ण अधिकार राजू को दिया दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा रचना करने की सोचनी चाहिए अगर हम जिस स्थिति में हैं और उसी स्थिति में रहे तो हम कभी भी विकास नहीं कर सकते विकास करने के लिए रचना करना बहुत ही आवश्यक है और रचना की शुरुआत आपके मन से होती है तो दोस्तों इसी तरह की ढेर सारे आर्टिकल्स पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे मैं फिर मिलूंगा आपको एक नए आर्टिकल के साथ यह कहानी मैंने अपने गांव में सुनी थी इसलिए मैंने सोचा कि मैं आपको यह कहानी बताओ।

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